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संत तुकाराम के उद्धरण

आयु का अंतिम दिन सुखद व्यतीत हो, इसलिए यह कठिन परिश्रम मैंने किया। अब मैं चिंतारहित होकर विश्राम कर रहा हूँ तृष्णा की दौड़ समाप्त हो चुकी है।