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यशपाल के उद्धरण

आवेग एक वस्तु है, जीवन दूसरी। जीवन जल का पात्र है, आवेग उसमें एक बुदबुदा मात्र। जीवन की सफलता के लिए किसी समय आवेग का दमन आवश्यक हो जाता है, जैसे रोग में पथ्य अरुचिकर होने पर भी उपयोगिता के विचार से ग्रहण किया जाता है।