अत्यंत लोभी का अर्थ और अधिक आसक्ति रखने वालों का काम—ये दोनों ही धर्म को हानि पहुँचाते हैं। जो मनुष्य काम से धर्म और अर्थ को अर्थ से धर्म और काम को तथा धर्म से अर्थ और काम को हानि न पहुँचा कर धर्म, अर्थ और काम तीनों का यथोचित रूप से सेवन करता है, वह अतयंत सुख प्राप्त करता है।