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वासुदेवशरण अग्रवाल के उद्धरण

अर्वाचीन विवारधारा मानव केंद्रिक है, अर्थात जीवन के प्रत्येक अनुष्ठान का मध्यवर्ती बिंदु मनुष्य है।