Font by Mehr Nastaliq Web

आचार्य रामचंद्र शुक्ल के उद्धरण

अपने स्वरूप को भूलकर यदि भारतवासियों ने संसार में सुख-समृद्धि प्राप्त की तो क्या? क्योंकि उन्होंने उदात्त वृत्तियों को उत्तेजित करने वाली बँधी-बँधाई परंपरा से अपना संबंध तोड़ लिया, नई उभरी हुई इतिहास-शून्य जंगली जातियों में अपना नाम लिखाया।