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वासुदेवशरण अग्रवाल के उद्धरण

अन्य दर्शनों की पद्धति मनुष्य के चैतन्य के एक अंश का स्पर्श करती है, वैदिक दर्शन उसके समग्र रूप के साथ तन्मय होने का निमंत्रण देता है।