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हजारीप्रसाद द्विवेदी के उद्धरण

अजनबीपन प्रेम के अभाव का द्योतक है; संन्यास भविष्य की उज्ज्वलता के विषय में निराशा का परिणाम है। और अनास्था समाज के प्रतिष्ठित कहे जाने वाले लोगों के आचरणों के भोग-परायण होने का फल है। इसमें आशा का केवल एक ही स्थान है—वह है साधारण जनता का स्वस्थ मनोबल।

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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