एरिक फ़्रॉम के उद्धरण

अगर एक व्यक्ति सिर्फ़ दूसरे एक व्यक्ति से प्रेम करता है, और अन्य सभी व्यक्तियों में उसकी ज़रा भी रुचि नहीं है—तो उसका प्रेम प्रेम न होकर मात्र एक समजैविक जुड़ाव भर है, उसके अहं का विस्तार भर है।
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