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भारवि के उद्धरण

अभीष्ट पुरुष के मिलने पर शून्य स्थान भरा-भरा सा बन जाता है, विपत्ति भी उत्सव के तुल्य हो जाती है। उनसे विवाद भी लाभ के लिए होता है।