रेनर मरिया रिल्के के उद्धरण

आख़िरकार ख़तरे उठाने और अनुभव के उस छोर तक पहुँचने से ही कलाकृतियों का निर्माण सम्भव हो पाता है, जिससे आगे कोई और नहीं जा सकता। इस यात्रा में हम ज्यों-ज्यों आगे बढ़ते जाते हैं हमारा अनुभव निजी, वैयक्तिक और विलक्षण होता जाता है और इससे जो चीज़ सामने आती है वह इसी विलक्षणता की लगभग हूबहू अभिव्यक्ति होती है।
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