होर्खे लुइस बोर्खेस के उद्धरण

1877 में ‘पेटर’ ने दृढ़ता से कहा था कि सभी कलाएँ संगीत का स्तर हासिल करने की कामना रखती हैं क्योंकि केवल, वह ही शुद्ध रूप है। संगीत, आनंद-की-दशाएँ, पौराणिक कथाएँ, काल से पके-तपे-घिसे चेहरे, कुछेक धुँधलके, और कुछेक विशिष्ट स्थान कुछ कहने की कोशिश करते हैं, या ऐसा कुछ कह चुके जिसे हम पकड़ नहीं पाए, या कुछ कहने को मुँह खोले हैं; 'कुछ' प्रकट होने की यह आसन्नता लेकिन वह 'कुछ' प्रकट हो नहीं, शायद यही सौंदर्यात्मक फेनोमना है।
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