जानकी बहुत ही प्रसन्न थी। कल वह अपने सभी मित्रों के साथ फूलदेई पर्व के लिए जाएगी। अगले दिन उसकी इजा (माँ) ने उसे सुबह-सुबह उठा दिया। नहा-धोकर अपनी छोटी डलिया हाथ में लिए फूल चुनने के लिए वह निकल गई। आँगन में पहुँचते ही उसने हेमा, गीता, राधा, बीर, गोविंद
भारत एक कृषि प्रधान देश है। भारतीय किसान का जीवन प्रकृति से जुड़ा रहता है। वह प्रकृति के साथ ही हँसता-रोता है, नाचता-गाता है। बुआई, सिंचाई, निराई आदि खेती-बाड़ी के सारे काम वह मौसम के अनुसार करता है। जब चारों तरफ़ हरियाली छा जाती है, वृक्ष-लताएँ फूलों
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जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली
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