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संत सालिगराम

1825 - 1898

'राधास्वामी सत्संग' के द्वितीय गुरु। स्पष्ट और सरल भाषा में अनुभवजन्य ज्ञान को अपनी वाणियों में प्रस्तुत किया।

'राधास्वामी सत्संग' के द्वितीय गुरु। स्पष्ट और सरल भाषा में अनुभवजन्य ज्ञान को अपनी वाणियों में प्रस्तुत किया।

संत सालिगराम के दोहे

पिया मेरे और मैं पिया की, कुछ भेद जानो कोई।

जो कुछ होय सो मौज से होई, पिया समरथ करें सोई॥

चुपके-चुपके बैठकर, करो नाम की याद।

दया मेहर से पाइयो, तुम सतगुरु परसाद॥

जो सुख नहिं तू दे सके, तो दुख काहू मत दे।

ऐसी रहनी जो रहे, सोई शब्द रस ले॥

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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