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नरपति नाल्ह

अजमेर के राजा विग्रहराज चतुर्थ के राजकवि। वीरगीत के रूप में सबसे पहली कृति 'बीसलदेव रासो' के रचयिता।

अजमेर के राजा विग्रहराज चतुर्थ के राजकवि। वीरगीत के रूप में सबसे पहली कृति 'बीसलदेव रासो' के रचयिता।

नरपति नाल्ह की संपूर्ण रचनाएँ

पद 4

 

रासो काव्य 4

 

उद्धरण 2

पुरुष के समान निर्गुणी संसार में अन्य नहीं होता।

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हे स्वामी! प्रवास के लिए कौन कहता है? वह जिसके घर में स्त्री नहीं होती या जिसके घर में कुल्हड़ में नमक तक नहीं होता, या जिसके घर में अकुलीन स्त्री कलह करती है, या जिसको ऋण से दबा होने से घर नहीं सुहाता, या जो योगी होकर घर से निकल पड़ता है, या जो अपना सा मुँह लेकर अलग (प्रवास) को जाता है।

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