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मुंज

973 - 995

मालवा राज्य के संस्थापक। परमार राजा भोज के चाचा। आचार्य मेरुतुंग की कृति ‘प्रबंध चिंतामणि’ में दोहे संकलित।

मालवा राज्य के संस्थापक। परमार राजा भोज के चाचा। आचार्य मेरुतुंग की कृति ‘प्रबंध चिंतामणि’ में दोहे संकलित।

मुंज की संपूर्ण रचनाएँ

दोहा 10

एहु जम्मु नग्गहं गियउ भड-सिरि खग्गु भग्गु।

तिक्खाँ तुरिय माणिया गोरी गलि लग्गु॥

वह जन्म व्यर्थ गया जिसने शत्रु के सिर पर खड्ग का वार नहीं किया, तीखे घोड़े पर सवारी की और गोरी को गले ही लगाया।

भोय एहु गलि कंठलउ, भण केहउ पडिहाइ।

उरि लच्छिहि मुहि सरसतिहि सीम निबद्धी काइ॥

धोज, कहो इसके गले में कंठा कैसा प्रतीत होता है! लगता है उर में लक्ष्मी और मुँह में सरस्वती की सीमा बाँध दी गई है।

आपणपइ प्रभु होइयइ कइ प्रभु कीजइ हत्थि।

काजु करेवा माणुसह तीजउ मागु अत्थि॥

या तो स्वयं ही प्रभु हों या प्रभु को अपने वश में करे। कार्य करने वाले मनुष्य के लिए तीसरा मार्ग नहीं है।

महिवीढह सचराचरह जिणि सिरि, दिन्हा पाय।

तसु अत्थमणु दिखेसरह होउत होउ चिराय॥

सचराचर जगत के सिर पर जिस सूर्य ने अपने पैर (किरण) डाले उस दिनेश्वर का भी अस्त हो जाता है। होनी होकर रहती है।

च्यारि बइल्ला धेनु दुइ, मिट्ठा बुल्ली नारि।

काहुँ मुंज कुडंवियाहँ गयवर बज्झइ वारि॥

जिसके घर चार बैल, दो गायें और मृदुलभाषिणी स्त्री हो, उस किसान को अपने घर पर हाथी बाँधने की क्या ज़रूरत है?

Recitation

aah ko chahiye ek umr asar hote tak SHAMSUR RAHMAN FARUQI

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