साज़-नासाज़
उस शाम मैं नरीमन प्वाइँट की उस फैंस पर लेटा था, जो कई किलोमीटर लंबी है और समुद्र तथा शहर को अपनी-अपनी सीमा को अहसास करवाती है। उस फैंस पर मेरे अलावा मेरे-जैसे कई और लोग भी बैठे थे। उनमें से कुछ लोग शहर की तरफ़ पीठ फेरकर बैठे थे और कुछ समुद्र की ओर, लेकिन