प्रोफ़ेसर राही : सौंदर्य-बोध के मूड में
आप कहेंगे कि यह सौंदर्य-बोध कौन-सी बला है? और इसका हास्य-रस से क्या संबंध है, लेकिन यक़ीन मानिए सौंदर्य-बोध और हास्य-रस की मिलावट इस युग की देन है और इस मिलावट के युग में इसका एक विशेष रस है! सौंदर्य-बोध का मज़ाक एक नया अंदाज़ है जिसकी रग-रगी और दिल हिला