बनारसीदास चतुर्वेदी के रेखाचित्र
पतिव्रता जयिनी मार्क्स
“बहन, यह ख़याल मत करना कि इन छोटे-छोटे कष्टों के कारण मैं हिम्मत हार बैठी हूँ। मुझे यह अच्छी तरह मालूम है कि मैं अकेली ही तकलीफ़ में नहीं हूँ। दुनिया में लाखों आदमी मुझसे कहीं अधिक कष्ट पा रहे हैं; बल्कि मैं तो यह कहूँगी कि इन तमाम दुःखों के होते हुए
पतिव्रता जयिनी मार्क्स
“बहन, यह ख़याल मत करना कि इन छोटे-छोटे कष्टों के कारण मैं हिम्मत हार बैठी हूँ। मुझे यह अच्छी तरह मालूम है कि मैं अकेली ही तकलीफ़ में नहीं हूँ। दुनिया में लाखों आदमी मुझसे कहीं अधिक कष्ट पा रहे हैं; बल्कि मैं तो यह कहूँगी कि इन तमाम दुःखों के होते हुए
वह दिव्य आलिंगन!
पत्र न० 1 5/7/1919 प्रियवर......, अरे भई, मेरी बात भी मान लो। तुम पीटर में बहुत दिन रह चुके। मेरा तो यही ख़याल है। किसी एक ही जगह पर बहुत दिन रहना ठीक नहीं। इससे आदमी थक जाता है और उसकी तबीअत ऊब जाती है। अगर राज़ी हो तो इधर की यात्रा का प्रबंध करूँ।
वह दिव्य आलिंगन!
पत्र न० 1 5/7/1919 प्रियवर......, अरे भई, मेरी बात भी मान लो। तुम पीटर में बहुत दिन रह चुके। मेरा तो यही ख़याल है। किसी एक ही जगह पर बहुत दिन रहना ठीक नहीं। इससे आदमी थक जाता है और उसकी तबीअत ऊब जाती है। अगर राज़ी हो तो इधर की यात्रा का प्रबंध करूँ।