जयपुर के रचनाकार

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सशक्त गद्यकार और चिंतक। 'उसने कहा था' जैसी कालजयी कहानी के रचनाकार। 'समालोचक' पत्रिका के संपादक और नागरी प्रचारिणी सभा के संपादकों में से एक। पांडित्यपूर्ण हास और अर्थ वक्र शैली के लिए विख्यात।

भक्तिकाल के निर्गुण संत। दादूपंथ के संस्थापक। ग़रीबदास, सुंदरदास, रज्जब और बखना के गुरु। राजस्थान के कबीर।

जयपुर नरेश सवाई प्रतापसिंह ने 'ब्रजनिधि' उपनाम से काव्य-संसार में ख्याति प्राप्त की. काव्य में ब्रजभाषा, राजस्थानी और फ़ारसी का प्रयोग।

‘मिले बस इतना ही’ शीर्षक कविता-संग्रह के कवि। कम आयु में दिवंगत।

रीतिकालीन जैन कवि। 'बुद्धि विलास' नामक ग्रंथ के रचनाकार। इनकी काव्य-भाषा राजस्थानी है।

समादृत संस्कृत कवि-लेखक-विद्वान। आधुनिक संस्कृत साहित्य में विपुल योगदान हेतु उल्लेखनीय।

सुपरिचित डोगरी कवि। 'घर' शीर्षक लंबी कविता के लिए उल्लेखनीय। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

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