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जाहिल और दुष्ट

zahil aur dusht

अनुवाद : सुरेश सलिल

पॉल इल्यार

अन्य

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पॉल इल्यार

जाहिल और दुष्ट

पॉल इल्यार

और अधिकपॉल इल्यार

    भीतर से आते हुए

    बाहर से आते हुए

    ये हमारे दुश्मन!

    ऊपर से आते हुए

    नीचे से आते हुए

    आते हुए पास और दूर से

    दाएँ और बाएँ से

    उठँगा हुआ ब्लाउज़

    झम्मकझोल ओवरकोट

    तिरछा लटकता क्रॉस

    उनकी राइफ़लें लंबी

    उनकी छुरियाँ छोटी

    जासूसों के बल पर गरबीले

    कसाइयों के बल पर ताक़तवर

    और घबराहट की वजह से गंभीर

    उनके हथियार संसार के लिए

    उनके हथियार संसार के लोग

    सलामियों की अकड़ में डूबे

    और संतों-महंतों के सम्मुख

    भय से पीले पड़े हुए

    शराब में डूबे

    सपनों में डूबे

    उग्र स्वर में गाते हुए बूटों का कोरस

    भूल चुके हैं वे

    प्यार किए जाने का सुख

    जब वे हाँ कहते हैं

    सबका जवाब ना होता है

    जब वे सोने का ज़िक्र छेड़ते हैं

    सब कुछ सीसा हो जाता है

    लेकिन उनकी परछाई के बरअक्स

    सब कुछ सोने में बदल जाएगा

    सभी फिर से युवा हो उठेंगे

    लिहाज़ा उन्हें बेदख़ल होने दो

    मरने दो उन्हें

    उनकी मौत हमें सुकून देती है

    आदमियों से हमें प्यार है

    वे बचे रहेंगे

    हम उनकी परवरिश करेंगे—

    सही रास्ते पर बढ़ रही

    एक नई दुनिया की

    गौरवशाली सुबह के वक़्त।

    स्रोत :
    • पुस्तक : रोशनी की खिड़कियाँ (पृष्ठ 135)
    • रचनाकार : पॉल इल्यार
    • प्रकाशन : मेधा बुक्स
    • संस्करण : 2003

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