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यह तो वही लड़की है

ye to vahi laDki hai

आनंद बहादुर

अन्य

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आनंद बहादुर

यह तो वही लड़की है

आनंद बहादुर

और अधिकआनंद बहादुर

    यह तो वही लड़की है 

    जो दूर वाले उस मल्टीप्लेक्स में रहती है 

    मैं उसे अक्सर 

    स्कूटी पर निकलते देखा हूँ 

    कहीं से कहीं आती-जाती 

    महानगर में उससे मेरा परिचय 

    इतना ही है 

    मगर मैं उसे

    उसी तरह पहचानता हूँ 

    जैसे शायद वह

    मुझे पहचानती होगी 

    कहीं पर मुझे देखकर कहती—

    यह तो वही आदमी है 

    हम दोनों के इतना सोचते ही 

    कितना खुल जाता होगा 

    हमारे ऊपर आकाश 

    महानगर में 

    प्रेम में होने की ज़रूरत नहीं पड़ती 

    एक ही महानगर में 

    आस-पास कहीं रहना 

    एक-दूसरे को आते जाते हुए देखना 

    एक-दूसरे को जानते हुए भी 

    किसी ख़ास लम्हे सोच बैठना 

    अरे, यह तो वही है!

    इस तरह भी शायद मिटती हो 

    आत्माओं की 

    जनम-जनम की प्यास

    स्रोत :
    • रचनाकार : आनंद बहादुर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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