पथभ्रष्ट

pathabhrasht

अनुजीत इक़बाल

अनुजीत इक़बाल

पथभ्रष्ट

अनुजीत इक़बाल

और अधिकअनुजीत इक़बाल

    मध्य मार्ग के थकित सूत्र और

    जन्म-मरण की तिब्बती पुस्तकें लेकर चलना श्रेयस्कर था

    लेकिन कोई था जो इन सबसे व्यापक था

    जिसे किसी साक्ष्य या प्रमाण की आवश्यकता नहीं थी

    जिसके स्मरण में मन, बुद्धि, चित्त समग्रता से डूबे रहे

    और आकाश की भंगिमाओं में उसका सुंदर चेहरा उभरता रहा

    वह जो केवल मेरी संपदा था—

    जिस पर सदैव रहस्य की झीनी चादर पड़ी रही

    प्रेम की सभ्यता प्रतिष्ठित हुई

    और उसके दृष्टि स्पर्श से देह का मार्जन हुआ

    लिखा तो बहुत उस पर लेकिन

    संबोधन में सदैव असमंजस बना रहा

    यह एक निहायत ही गूढ़ संयोजन था जीवन का

    उसकी आवाज़ भर सुन लेने से

    छंदशास्त्र की समस्त रागिनियाँ निरर्थक हो जातीं

    रास्ते पर चलना...

    जीवन में भटक जाने का पर्याय था

    इसलिए मैं उसके प्रेम में पूर्णतया पथभ्रष्ट थी

    नियमनिष्ठ तो बिल्कुल भी नहीं

    सभ्यता, शिष्टता, संस्कार के दहन के उपरांत

    जिस दिन मैंने पृथ्वी का लास्य

    निष्कवच सूर्य को दिखाने के लिए

    रंगमहल के सात द्वार

    उस प्रेयस का हाथ थाम कर पार किए थे

    उस दिन नक्षत्रों की गति अचंभे में पड़ गई थी

    और चटक गई थी गर्भगृह में स्थापित

    एक देवमूर्ति

    स्रोत :
    • रचनाकार : अनुजीत इक़बाल
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए