Font by Mehr Nastaliq Web

वृद्ध

vriddh

इलारानी सिंह

और अधिकइलारानी सिंह

    अहाँ जखन वृद्ध झुर्रीवला हैब

    तखन कँपैत हाथें

    हमर कविता-संकलन

    बेटा-पुतहुसँ नुका कए

    मने मन पढ़ब!

    और मानस पटल पर दोहरायब

    विगत अध्याय!

    स्मरण करब अपन पुरान क्षण—

    सुन्दरी,

    प्रेयसी,

    मृग-शावक नयन

    सहयात्रा...और

    आत्मविभोर होइत—

    कविता-संकलन बन्द करैत

    अहाँ अन्तर्व्यथाक संग कहि उठब

    स्नेह जीवनसँ कतेक शीघ्र पड़ा गेल!

    हाय, काल तँ

    आकृतियो बदलि देलक!

    जीवनक एक महत्वपूर्ण अध्याय समाप्त भऽ गेल!

    स्रोत :
    • पुस्तक : इजोरियाक अङैठी मोड़ (पृष्ठ 10)
    • संपादक : माला झा
    • रचनाकार : इलारानी सिंह
    • प्रकाशन : किसुन संकल्प लोक
    • संस्करण : 2004

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY