आह्वान
शब्दक अगिनबान मारि
अक्षरक दंशसँ
बेहोशीमे पड़ल, भकुआयल सभकेँ
समयक थापड़ मारि
जगेबाक दुःस्साहसमे
डर होइत अछि
हम कविता एतेक कठोर
एतेक तिक्ख नहि लिखलहुँ
जे मनुक्खक गराक काँट भऽ जाइक
मुदा पकवानक सुगन्धिसँ
कुम्भकर्ण जगायब सन
आसान बाट तकैत
फूलक आवरणमे शिकारीक खिस्सा सभ
कोमलतासँ सुनेबाक
समय कहाँ रहि गेलैक
स्त्रीक लोरी सुन
अनादि कालसँ सुतलाहा सभकेँ
झकझोरिकऽ जगेबाक हेतु
शब्दकेँ धरगर आरी बनाकऽ
तराशबाक अछि कविता
आ लौह समान आगिमे तपाकऽ
देबाक अछि आकार
चोटक हेतु
तहने तँ जागृत हेतैक हृदयमे स्पन्दन केर चाप
आ बर्खोसँ नियतिकेँ भाग्य बनाकऽ
भाग्यविधाताक पूजामे
समर्पित फूल सभ
वनमाराक लत्ती जकाँ
फैलितैक जंगल भरि
आ कथित देवतासभक दुआरपर
ढोल बजा बधैया मँगैबला हाथ सभ
मात्र तिरष्कारक बोझ ढोइबला
बेनाम कहार सभ
बँसबिट्टीसँ उठिकऽ मात्र
बँसबिट्टीयेमे विलीन होइबला कलाकार सभ
सूप-चंगेरामे साँठिकऽ
छठिक प्रसाद
उतरतैक जलकुण्डमे
सूर्योदय हेतु
तेँ कवितामे अंगेजिकऽ धधरा
एकटा इजोतक खोजमे
जीवनक अन्हार सुरंगसँ बाहर निकालबाक हेतु
कविताक बहन्ने
आगि लेसबाक
सरंजाम कऽ रहल छी।
- पुस्तक : धाराक विरुद्ध (पृष्ठ 21)
- रचनाकार : विजेता चौधरी
- प्रकाशन : नवारम्भ
- संस्करण : 2019
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