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वैदेहीक नाम

vaidehik naam

ज्योत्स्ना चन्द्रम्

अन्य

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ज्योत्स्ना चन्द्रम्

वैदेहीक नाम

ज्योत्स्ना चन्द्रम्

और अधिकज्योत्स्ना चन्द्रम्

    विदेह-पुत्री अहाँ

    सर्वगुणसम्पन्ना-राजदुलारी...

    उनलनि जनक ऋषि

    धनुष-यज्ञ,

    विशाल नर-समुद्र-मंथनक बाद

    हेरलनि अमृत-

    पौरुष-निकषपर सफल

    मर्यादापुरुषोत्तम राम!

    जानकी!

    बड़ भागमंत भेलहुँ

    राम सन पति

    दशरथ सन ससुर

    कौशिल्या सन सासु,

    लक्ष्मण सन देओर पौलहुँ

    मधुर-चासनी मे बोरल चिरैता

    घोटैत रहलहुँ सभ दिन

    संगहि, सहधर्मिणी बनि

    छाहरि जकाँ चलैत रहलहुँ

    उर्विजे!

    तैयो देबऽ पड़ल अग्निपरीक्षा

    भोगऽ पड़ल वनवास

    अक्षुण्ण रखैत

    अपन स्वाभिमान,

    रक्षा करैत अपन अस्मिता कें

    अंतत: शरणागत भेलहुँ

    धरणी-माँक कोरा मे

    मैथिली!

    अन्तर नहि अएलै अछि

    एखनो धरि स्त्रीक नियति मे

    अहीं जकाँ एखनो

    देबऽ पड़ैत छै परीक्षा

    सती-सुलक्षणा होइतहुँ

    भोगऽ पड़ैत छै मनस्ताप

    पीड़िता, परित्यक्ता बनि

    मुक्ति तकैत अछि

    मृत्युक बाट मे एखनो धरि...

    वैदेही!

    प्रश्न पुछैत छी

    अहीं सँ एकटा,

    जे अहाँक जीवन देखलोपर

    किए ने टुटैत छनि भक्क

    जनक सुनयनाक?

    अगहनमे

    सीता बियाहलि गेलीह

    दुखे भोगलनि सभ दिन

    तें—

    धिया नै बियाही अगहन मे—

    कहनिहार माए-बाप

    दोष तऽ ताकि लेलनि

    मास मे, मुदा

    किए ने तकलनि दोष राम मे?

    किए एखनो धरि

    सभ जनक/सभ सुनयना

    तकैत छथि राम सन जमाय

    आ, सभ धिया चाहैत छथि

    सिया सन भाग्य!

    किए?

    किए बहिन वैदेही?

    स्रोत :
    • पुस्तक : समग्र ज्योत्स्ना (पृष्ठ 44)
    • संपादक : विभूति आनन्द
    • रचनाकार : ज्योत्स्ना चन्द्रम्
    • प्रकाशन : नवारम्भ
    • संस्करण : 2017

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