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वही दिन सबके लिए

vahi din sabke liye

अनुवाद : सुरेश सलिल

पॉल इल्यार

अन्य

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पॉल इल्यार

वही दिन सबके लिए

पॉल इल्यार

और अधिकपॉल इल्यार

    (1)

    अपराधियों के सरदारों के कलेजे में

    हम सहीं धँसाते हैं शमशीर

    ग़रीब और बेगुनाहों के कलेजे में धँसाते हैं।

    पहली आँखें निश्छलता की हैं

    और दूसरी ग़रीबी की

    हमें मालूम होना चाहिए उनकी हिफ़ाज़त का तरीक़ा।

    अगर मैं नफ़रत

    और नफ़रत सिखाने वालों का ख़ून नहीं कर पाता

    तो प्यार की भर्त्सना करूँगा: सिर्फ़।

    (2)

    एक नन्हीं चिड़ि‌या विचरती है

    उन विस्तृत प्रदेशों में

    जहाँ पंखयुक्त सूर्य है।

    (3)

    उसको हँसी मेरे लिए थी

    निर्वसना वह मेरे लिए बनी थी

    वह एक जंगल की तरह थी

    एक स्त्री-समूह की तरह,

    मेरे लिए वह एक कवच की तरह थी

    पशुता के विरुद्ध

    अन्यान के विरुद्ध

    अन्याय घट-घट व्यापी है—

    जीवनहीनता के प्रतीक

    रुँधे आसमान का एकाकी और जड़ तारा।

    अन्याय आतंकित करता है निर्दोषों,

    योद्धाओं और दीवानों को

    एक दिन जिन्हें आएगा हुकूमत करना।

    क्योंकि मैंने उन्हें हँसते सुना है

    उनके ख़ून में

    उनकी ख़ूबसूरती में

    विपन्नता और यंत्रणा में

    गूँजने वाली है

    जीवन और जन्म को

    ठहाकों से भरपूर कर देने वाली हँसी।

    स्रोत :
    • पुस्तक : रोशनी की खिड़कियाँ (पृष्ठ 133)
    • रचनाकार : पॉल इल्यार
    • प्रकाशन : मेधा बुक्स
    • संस्करण : 2003

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