Font by Mehr Nastaliq Web

उतनी दूर चलकर देखें

utni door chalkar dekhen

आनंद बहादुर

अन्य

अन्य

आनंद बहादुर

उतनी दूर चलकर देखें

आनंद बहादुर

और अधिकआनंद बहादुर

    एक आदमी

    कितनी दूर जा सकता है 

    एक जूते की छाप जितनी दूर जाती हो

    उतनी दूर चलकर देखें?

    अपने ही जूते की छाप से

    कितनी दूर जाया जा सकता है?

    पाँव शायद जानते हों

    पगडंडियाँ बता सकती होंगी

    किसी पगडंडी से पूछें?

    पगडंडी जितनी दूर तक ले जा सके

    उतनी दूर तक चलें?

    एक पगडंडी में झलकते हैं

    प्रेम से पगे कितने पग

    इनमें पैर के बस एक निशान को

    मुझे चीन्हना है

    एक पुराना परिचय 

    एक निभाया हुआ रिश्ता

    बहुत सारी सूखी पत्तियाँ

    बरस गई हैं इसी बीच पगडंडी पर

    अब तक उनमें छिप गए होंगे सारे प्रेम

    ढँकी रह गई होंगी यादों की सूखी पत्तियाँ

    कहीं से कोई हवा का झोंका आए

    पगडंडी से कहें

    या चलो उस नाव से पूछें

    कि वह प्रेम के बिना

    कितनी दूर तक तैर सकती है

    एक छोटी नाव कितनी दूर तक जा सकती है

    जिस पर दो जने बैठें

    तो शायद डूब ही जाएँ

    नदी बरदाश्त कर सके 

    तो चलो एक उतनी ही छोटी नाव में बैठ 

    जल की अथाहता में वहाँ उतरें

    जहाँ बहुत सारे डूबे हुओं की छवियाँ 

    टूट-बन रही हों

    स्रोत :
    • रचनाकार : आनंद बहादुर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY