उसका मन

uska man

लवली गोस्वामी

और अधिकलवली गोस्वामी

    उसकी मुस्कुराहट परतदार समुद्री लहरों जैसी थी

    होंठों के कोर से ख़ुद को छुआ कर लौटती

    आवाजाही का वह खेल खेलती

    जो बिल्लियाँ अपने मालिकों से खेलती हैं

    जब वह भरपूर पुलक से मुस्कुराता था

    उसकी नाक के दोनों तरफ़ गालों की पेशियाँ ऐसे उमगती थीं

    जैसे उड़ने से ठीक पहले पक्षी डैने फुलकाते हैं

    हरे बाँस की बाँसुरी से नवयौवना दुर्गा

    आश्विन की हवा के सुर फूँकती-सी लगती थी

    जब सफ़ेद फूली कांसी के कुंज उसकी हँसी में लहलहाते थे

    मैं ज़रा-सी फूँक मारकर अगर उड़ा देती

    उसके चेहरे से अवसाद की स्याह राख

    तो नारंगी लपटों का सधा हुआ नृत्य थी उसकी हँसी

    उसका मन हरा था, मन के घाव भी हरे थे

    एक हरापन उसकी देह में भी था, वह सिहरता था

    देह में सरसों की पीली बाड़ी फूटती थी

    उसका मेरे साथ होना दरवाज़े के दो पल्लों का साथ होना था

    एक दूसरे की उँगलियों में फँसी उँगलियाँ हल्के-से छोड़कर

    हम अपने बीच से लोगों को आवाजाही करने देते थे

    उसका मेरे साथ होना द्वार के दोनों ओर लगे

    सज़ावटी अशोक के हमउम्र पेड़ों का साथ होना था

    जिन पर झाँझ, बरसात, वसंत सब एक जैसे असर करते थे

    उसका मेरा साथ होना मोम और उसकी बाती का साथ होना था

    वह तिल-तिल जलाता था

    रौशनी फैलाने के नियम से बँधी मेरी काँपती-सी साँसों की लौ

    उसके साथ ही लगातार मिटती जाती थी

    उसने ऐसे समेटा था अपने मन में मेरा प्रेम

    जैसे वृंत से गिर जाने से पहले अंतिम दफ़ा फूल

    अपनी पंखुड़ियाँ समेटता है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : लवली गोस्वामी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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