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उसका लिखना

uska likhna

प्रमिला शंकर

अन्य

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प्रमिला शंकर

उसका लिखना

प्रमिला शंकर

और अधिकप्रमिला शंकर

    हवा की नरम छुअन से

    लहराती जुल्फ़ें,

    जैसे किसी बिखरे पल की

    स्मृति झाँक रही हो

    खिड़की के पार

    अस्त होते सूरज का रंग,

    उसकी आँखों में उतर

    आया है—गहरा,

    मगर शाँत, सवालों-सा

    हाथ में डायरी, लिए

    एक अनकहा संसार समेटे—

    जहाँ शब्द पूरे हों, पर हो कोई बात अधूरी, हर विराम एक प्रतीक्षा!!

    वह लिखती है…

    पर शायद वह खुद को नहीं,

    किसी और को

    उस धुँधले अतीत को,

    जिसने अब तक उत्तर नहीं दिए

    ओस-भीगी सुबहें,

    रेत-सी फिसलती शामें,

    और रिश्तों के मौन हाशिए—

    सब समा जाते हैं उस खाली पन्ने में

    जहाँ वह हर रोज़ ख़ुद को टटोलती है।

    उसका लिखना, धीरे-धीरे ख़ुद को समझना है शायद।

    स्रोत :
    • रचनाकार : प्रमिला शंकर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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