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उस दिन की प्रतीक्षा में

us din ki pratiksha mein

अरुणाभ सौरभ

अन्य

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अरुणाभ सौरभ

उस दिन की प्रतीक्षा में

अरुणाभ सौरभ

और अधिकअरुणाभ सौरभ

    मुरझा जाएँगे सूखे फूल सारे

    पानी किसी अनजान लड़की-सा

    बहने लगेगा मेरे भीतर

    और ट्रैफ़िक सिग्नल देंगे पेड़

    उस रास्ते के लिए

    जहाँ हरियाली अवसाद से निकाल खींच लेगी

    अपना वजूद

    वसंत उस वक़्त

    पूरी जवानी में झूम-झूम गाएगा मालकौंस

    भैरवी थाट में

    दिन के सातवें पहर में

    पतीले में माँ लगाएगी लेवा

    अदहन उबलने से पहले

    चावल गिरने से पहले

    और हम निकलेंगे बाहर

    होश-ओ-हवास में

    हमारे पास कहने-सुनने और चल पड़ने का

    बचेगा विकल्प

    उस दिन दिशाओं में गूँजेगी

    हमारी आवाज़

    पहाड़ अपनी सबसे ऊँची चोटी से

    कविता पढ़ेगा

    शंखनाद की तरह

    अंतरिक्ष की विराट सत्ता में

    दिन का समूचा प्रकाश

    रात का सन्नाटा

    बहती हवाओं की फड़फड़ाहट

    और हमारा रक्त

    पेड़ की छाल के नीचे से बहेगा

    तब हमारे पास दुनिया बदलने की

    पूरी ताक़त होगी

    उस दिन घोषणाओं के बजाय

    कोई उदास नहीं होगा

    किसी का दिल नहीं टूटेगा

    कोई भूखा नहीं होगा

    गोदाम में नहीं सड़ेंगे अनाज

    कोई हत्या नहीं होगी

    हत्यारा आवारा घूमेगा

    उस दिन से हर बच्चों के हाथ में किताब होगी

    आँखों में चमक

    उस दिन से कोई अस्पताल नहीं जाएगा

    कोई न्यायालय

    थाना

    तो साथियो,

    क्या कोई ऐसा दिन

    हमारे हिस्से में आएगा

    जिस दिन किसी को

    प्रार्थना करनी पड़े

    अपने-अपने वास्ते

    अपने-अपने ईश्वर के आगे

    गिड़गिड़ाना ना पड़े?

    स्रोत :
    • रचनाकार : अरुणाभ सौरभ
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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