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उम्मीद

ummid

ममता जयंत

ममता जयंत

उम्मीद

ममता जयंत

और अधिकममता जयंत

    जब दस्तक देते हैं ग़म

    ज़िंदगी की दहलीज़ पर 

    अक्सर झरोखों से झाँकती है उम्मीद 

    देती है तसल्ली इत्मीनान से 

    गोया कर रही हो आगाज़ ख़ुशियों का

    नहीं गिरने देती उस ऊँचाई से 

    जो डराती हैं शिखर का वास्ता देकर 

    नहीं रोकती पाँव बढ़ने से पहुँचा देती है 

    मन की गुफ़ा तक हौसलों का उजाला 

    और ले जाती है उस मंजिल तक 

    गुज़रता है जिसका रास्ता 

    अरमानों से होकर 

    निकलती चीरकर बाधाओं को 

    तय करती है पड़ाव तनावों-तूफ़ानों के

    लहराती है इक रोज़ परचम

    कामयाबी की दहलीज़ पर!

    स्रोत :
    • रचनाकार : ममता जयंत
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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