Font by Mehr Nastaliq Web

टूटा इन्द्रधनुष

tuta indradhnush

अनुवाद : भीमसेन 'निर्मल'

सी. नारायण रेड्डी

अन्य

अन्य

सी. नारायण रेड्डी

टूटा इन्द्रधनुष

सी. नारायण रेड्डी

और अधिकसी. नारायण रेड्डी

    एक : आत्महत्या कर ली चन्द्र ने

    अमावस-सी बावड़ी में कूदकर

    दो : इन आँखों को देख भ्रमित होना

    स्वाभाविक है इनमें आँसुओं का उमड़ना

    तीन : यह देखो मेरे मन का कमरा

    जिसे किराये की ज़रूरत नहीं

    चार : मेरी रचना को कविता कहते हो? व्यर्थ

    यह है आहत हृदय की खिलवाड़

    पाँच : जलते सब दीपकों को बुझ जाने दो

    एक हृदय को ही प्रज्वलित रहने दो

    छह : प्रतीक्षा करते तुम्हारी, पता चला

    काल की अवधि इतनी लंबी है

    सात : सपनों को जन्म देने में

    लिंग-भेद कैसा?

    स्रोत :
    • पुस्तक : कविता मेरी साँस (पृष्ठ 107)
    • संपादक : भीमसेन 'निर्मल'
    • रचनाकार : सी. नारायण रेड्डी
    • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन
    • संस्करण : 1990

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY