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तुम्हारा प्यार

tumhara pyaar

बबली गुज्जर

अन्य

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बबली गुज्जर

तुम्हारा प्यार

बबली गुज्जर

और अधिकबबली गुज्जर

    उस रोज़ तुम जब नज़र फेर कर गई थी

    साँसें भी सीने तक आने में बहुत देर कर रही थी

    ये कोई ज़ेहनी रुसवाई नहीं थी मेरी जान

    ये कुछ लम्हात की वक़्ती जुदाई थी

    हम अख़लाक़ की जर्द चादरों में लिपटे बदन थे

    हमारी रूहें तड़प तड़प कर बदन से खुला माँगती रही

    मगर हम ज़माने के डर से मरने से डरते हुए जीते गए

    हमारा घायल दिल ज़िस्म के भीतर सड़ता रहा

    दुख हमारी नसों में ख़ून बन बन बहता रहा

    और तुम्हारा प्यार...तुम्हारा प्यार,

    बोझिल शामों में उदास गीत सा बजता रहा

    जिसे जितना सुना, उतना आँखें बहती रहीं,

    जितना आँखें रोई उतनी दफ़ा फिर गीत सुनता रहा...

    तुम हिचकियों से रो लेने के बाद

    सुबकियों में आई वो आख़िरी सिसकी थे

    जो हमें तीन रातों के रतजगों के बाद कहीं

    नींद के आगोश में ले जा सुलाती है कभी

    मैं ज़िंदगी से हारा था साहेबां

    मुहब्बत का मारा था जानेजां

    मेरा मन था पंखें से टकराई

    ज़मीन पर पड़ी साँसों के लिए लड़ी

    वो एक नन्हीं...बेसुध...चिड़िया

    जिसे तुम दे सकते थे सिर्फ़

    सूखते कंठ को तर करने लायक

    दो अंजुरी भर पानी तो शायद

    लेकिन लाख चाहते तो भी

    वापस दे सकते थे प्राण कभी

    मरना मेरी नियति था

    मैं मरूँगा दोस्त...

    जितनी दफ़ा जाओगी, उतनी दफ़ा मरूँगा

    जितनी दफ़ा पूछोगी, उतनी दफ़ा कहूँगा

    कहूँगा आख़िरी साँस तक ये सत्य बारंबार

    मेरे हृदय में गति दे सकता था कोई अगर

    तो वो था सिर्फ़ तुम्हारा प्यार,

    ..सिर्फ़ तुम्हारा प्यार...

    स्रोत :
    • रचनाकार : बबली गुज्जर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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