नए युग में शत्रु

nae yug mein shatru

मंगलेश डबराल

मंगलेश डबराल

नए युग में शत्रु

मंगलेश डबराल

और अधिकमंगलेश डबराल

    अंततः हमारा शत्रु भी एक नए युग में प्रवेश करता है

    अपने जूतों कपड़ों और मोबाइलों के साथ

    वह एक सदी का दरवाज़ा खटखटाता है

    और उसके तहख़ाने में चला जाता है

    जो इस सदी और सहस्राब्दी की ही तरह अथाह और अज्ञात है

    वह जीत कर आया है और जानता है कि उसकी लड़ाइयाँ बची हुई हैं

    हमारा शत्रु किसी एक जगह नहीं रहता

    लेकिन हम जहाँ भी जाते हैं पता चलता है वह और कहीं रह रहा है

    अपनी पहचान को उसने हर जगह अधिक घुला-मिला दिया है

    जो लोग ऊँची जगहों में भव्य कुर्सियों पर बैठे हुए दिखते हैं

    वे शत्रु नहीं सिर्फ़ उसके कारिंदे हैं

    जिन्हें वह भर्ती करता रहता है

    ताकि हम उसे खोजने की कोशिश करें

    वह अपने को कंप्यूटरों टेलीविज़नों मोबाइलों

    आइपैडों की जटिल आँतों के भीतर फैला देता है

    किसी महँगी गाड़ी के भीतर उसकी छाया नज़र आती है

    लेकिन वहाँ पहुँचने पर दिखता है वह वहाँ नहीं है

    बल्कि किसी दूसरी और ज़्यादा नई गाड़ी में बैठ कर चल दिया है

    कभी लगता है वह किसी फ़ैशन परेड में शिरकत कर रहा है

    लेकिन वहाँ सिर्फ़ बनियानों और जाँघियों का ढेर दिखाई देता है

    हम सोचते हैं शायद वह किसी ग़रीब के घर पर हमला करने चला गया है

    लेकिन वह वहाँ से भी जा चुका है

    वहाँ एक परिवार अपनी ग़रीबी में से झाँकता हुआ टेलीविजन देख रहा

    जिस पर एक रंगीन कार्यक्रम रहा है

    हमारे शत्रु के पास बहुत से फ़ोन नंबर हैं ढेरों मोबाइल

    वह लोगों को सूचना देता है आप जीत गए हैं

    एक विशाल प्रतियोगिता में आपका नाम निकल आया है

    आप बहुत सारा क़र्ज़ ले सकते हैं बहुत-सा सामान ख़रीद सकते हैं

    एक अकल्पनीय उपहार आपका इंतज़ार कर रहा है

    लेकिन पलट कर फ़ोन करने पर कुछ नहीं सुनाई देता

    हमारा शत्रु कभी हमसे नहीं मिलता सामने नहीं आता

    हमें ललकारता नहीं

    हालांकि उसके आने-जाने की आहट हमेशा बनी रहती है

    कभी-कभी उसका संदेश आता है कि अब कहीं शत्रु नहीं है

    हम सब एक दूसरे के मित्र हैं

    आपसी मतभेद भुलाकर आइए हम एक ही प्याले से पिएँ

    वसुधैव कुटुंबकम्‌ हमारा विश्वास है

    धन्यवाद और शुभरात्रि।

    स्रोत :
    • रचनाकार : मंगलेश डबराल
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए