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माक्ती रोस्सी
Matti Rossi

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Matti Rossi
माक्ती रोस्सी
और अधिकमाक्ती रोस्सी
(स्मृति गीत मूर्तिकार ताइरत्तो मार्तिस्काइनेन के लिए 1943-1982)
मार्तिस्काइनेन, है बहुत दुःख
दुःख मनुष्य को परिष्कृत करता है,
काँसे का और पाषाण का हृदय।
दुःख जलता हुआ हाथ
लुहार और धातु ढालने वाले का सुख।
तुम्हारी आवाज़ के लिए दुःखी हूँ
गले से उभरती-तुम्हारी हँसी।
ख़ाली लाइन, बजते हैं तार।
थे ताइरत्तो मार्तिस्काइनेन
काँसे और पाषाण के मालिक
अब ख़ुद काँसा और पत्थर हैं।
याद आती है क्रोधाग्नि
लावे का भाई, सीमेंट का मालिक
कोयले में नहीं हुआ तब्दील।
तुम चले गए, उतर गए अथाह जल में
पत्थर तट पर कर रहे हैं बात
चट्टानें गा रही हैं तुम्हारे गीत
भला लगता है काम करना
जानता था जब तुम कर रहे हो काम
बेहद दुःख है मार्तिस्काइनेन।
- पुस्तक : दरवाज़े में कोई चाबी नहीं (पृष्ठ 210)
- संपादक : वंशी माहेश्वरी
- रचनाकार : माक्ती रोस्सी
- प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
- संस्करण : 2020
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