तस्वीर

taswir

मंगलेश डबराल

और अधिकमंगलेश डबराल

     

    यायावर फ़ोटोकार और प्यारे इंसान कमल जोशी की स्मृति में     

    वह तुम्हारी तस्वीर खींचता है 
    जब तुम कैमरे की तरफ़ नहीं कहीं और देख रहे होते हो
    इससे बेख़बर है कि तुम क्या खोज रहे हो  
    या कभी-कभी वह तुम्हें सामने खड़े होने के लिए कहता है
    और अपना कोई प्रिय काम करने के लिए  
    मसलन, अपनी भाषा में से किसी शब्द को धीरे से उठाकर 
    सूरज की रोशनी में अपनी हथेली पर रखना   
    दूर तक जाने वाली आवाज़ में किसी को पुकारना   
    किसी दोस्त को एक क्लोज़-अप में देखना    
    कैमरे के पीछे से वह इस तरह छानबीन करता है
    जैसे जानना चाहता हो कि तुम्हारे भीतर जो कुछ है 
    वह किस हद तक तुम्हारे चेहरे पर प्रकट हो पाता है
    और तुम अपनी गहराई में कितने मनुष्य रह गए हो
    पहाड़ पगडंडियाँ पेड़ पानी घास भी 
    उसके लिए चेहरों की तरह हैं जो एक दूसरे को देखते रहते हैं  

    एक बड़े से फ़्रेम में तुम्हें चित्रित करके वह तुरंत चला जाएगा
    पीठ पर थोड़ा सामान और पैरों में तेज़ रफ़्तार लिए हुए  
    उसकी खींची हुई तस्वीर में तुम दर्ज हो चुके हो 
    सुंदर या बेपरवाह या ध्यानमग्न 
    तुम्हारे चहरे पर एक शांत सुबह अटकी हुई है 
    हल्की हवा में उड़ते हुए तुम्हारे बाल
    ज़िंदगी की दैनिक पीड़ाओं से दूर तुम्हारा क्षण
    तुम्हें याद दिलाता हुआ कि तुम ऐसे थे या हो या हो सकते हो  

    लेकिन जिसने तुम्हें इस सुंदरता में दर्ज किया है 
    वह वहाँ मौजूद है 
    तुम्हारे चेहरे के पीछे या इर्द-गिर्द 
    पास आते नीले धुँधले पहाड़ या दूर जाते हरे पेड़ में 
    उसकी खुली हुई हँसी चमकती हुई दो आँखें 
    आहिस्ता काँपती एक दाढ़ी विदा में हिलती हुई अँगुलियाँ 
    सच तो यह है कि उस तस्वीर में जो कुछ है वह तुम नहीं हो 
    या हद से हद तुम एक आकार हो जिसमें कुछ रंग भरे हैं 
    बल्कि वही है जो अकेली जीवित वस्तु की तरह 
    वहाँ धड़कता और हलचल करता है 
    उसकी सुंदरता बन कर रहता है   
    और कभी उस दृश्य से हटता नहीं।

    स्रोत :
    • रचनाकार : मंगलेश डबराल
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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