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तानाशाह

tanashah

अरविंद यादव

अरविंद यादव

तानाशाह

अरविंद यादव

और अधिकअरविंद यादव

    तानाशाह नहीं सुनना चाहते हैं सवाल

    वे सुनना चाहते हैं सिर्फ़

    सिर झुकाए सिंहासन की जयकार

    तानाशाह नहीं देखना चाहते हैं

    अपने बरक्स उठा कोई इंक़लाबी हाथ

    वे देखना चाहते हैं सिर्फ़

    सिंहासन के सामने

    करबद्ध नतानन

    तानाशाह कुचल देना चाहते हैं

    उन विचारों को भी

    जो भूलकर भी होते हैं उठ खड़े

    प्रतिपक्ष में तानाशाही प्रवृत्ति के

    तानाशाह सिर्फ़ कहते हैं अपने मन की बात

    जारी करते हैं सिर्फ़ अपने फ़रमान

    बिना विचारे इस आशा के साथ

    कि जनगण ब्रह्मवाक्य की तरह

    उसे सुने

    उसे माने

    तानाशाह नहीं चूकते हैं

    करवाने से भी उनका क़त्ल

    जो अनसुनी करते हैं उनकी बात

    अनदेखे करते हैं उनके फ़रमान

    क्योंकि वे भूल जाते हैं तानाशाही में

    अतीत के तानाशाहों का वह हश्र

    जो दफ़्न हैं

    इतिहास के सीने में।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अरविंद यादव
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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