हमारा देश

hamara desh

एस. उमैताणु पिल्लै

और अधिकएस. उमैताणु पिल्लै

    अक्षुण्ण वेला वलयित शोभित देश हमारा

    अनत हिमाचल तुंग अवस्थित देश हमारा

    अविरल, अमल प्रवाह नदीयुत देश हमारा

    अमित द्रव्य से समृद्धिशाली देश हमारा।

    शांति मूर्ति महात्मा गांधी देश हमारा

    श्रद्धा-युत नित खद्दरधारी देश हमारा

    गांधी पोषित काँग्रेस से उद्धार हमारा

    भगवदलीला विलसित पावन देश हमारा।

    विचलित नही डाट-डपट से होता देश हमारा

    स्पष्ट सत्ययुत वचन प्रवर्त्तक नामी देश हमारा

    तनिक डरता शस्त्र बमों से देश हमारा

    त्याग भरा जीवन, उदात्त मन देश हमारा।

    अन्न-वस्त्र के लिए अन्य का दया-पात्र नहीं देश हमारा

    तज आलस, श्रम करते रहते धीरों का यह देश हमारा

    चढ़ आए विदेशी, उनका मन दहलाता देश हमारा

    ममता, स्नेह प्रेममय जीवन-दाता प्यारा देश हमारा।

    असंख्य कला-कौशल दिखलाता देश हमारा

    कंबन, कालिदास, रवि ठाकुर देश हमारा

    संयम नियम ज्ञान में ऊँचा देश हमारा

    सपने सत्य बनाता न्यारा देश हमारा।

    खाद्य-समस्या हल कर चुका देश हमारा

    वाणिज्य औ' खेती में नामी देश हमारा

    दर्शक मन आकर्षित करता देश हमारा

    पर्वत-सिंधु-सौंदर्य-सुशोभित देश हमारा।

    प्राण जाए पर वचन तजता देश हमारा

    जमे रहे विदेशी को उपद्रव देता देश हमारा

    आए आफ़त, निश्चल डटता देश हमारा

    गरीब-अगुआ गांधी का यह देश हमारा।

    देश अन्य को कुचल ग़ुलाम करता देश हमारा

    दुराग्रह से बमबारी से अनजान है देश हमारा

    सर्वभूत औ' निज में नहीं भेद मानता देश हमारा

    धरती को भी स्वर्ग में बदल देने वाला देश हमारा।

    निर्भीक, वीर, जनता-शासित देश हमारा

    द्रोह कपट से अनभिज्ञ यह देश हमारा

    रहा संपत्तिहीन कभी यह देश हमारा

    याचक को देकर सुख पाता हिंदुस्तान हमारा।

    दंड और डंडो के आगे कभी विचलित देश हमारा

    सिर आँखों नेता का आदर करता देश हमारा

    विकसाते उद्योग पुराने बढ़ता देश हमारा

    विश्व-प्रशंसा-पात्र बन रहा भारत देश हमारा।

    स्रोत :
    • पुस्तक : भारतीय कविता 1954-55 (पृष्ठ 312)
    • रचनाकार : एस. उमैताणु पिल्लै
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी

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