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यात्रा के सूत्र

yatra ke sootr

टॉमस ट्रांसट्रोमर

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    (1)

    हलवाहे की पीठ तरफ़ कुछ फुसफुसाहटें।

    नहीं देखता मुड़ कर पीछे। ख़ाली पसरे खेत।

    हलवाहे की पीठ तरफ़ कुछ फुसफुसाहटें।

    एक-एक कर तितर-बितर होते वे साए

    और बिला जाते गह्वर में आसमान के।

    (2)

    चार बैल हैं रहे, आसमान के नीचे

    चाल ढाल उनकी बस यूँ ही, मामूली सी। और धूल है

    मोटी ऊन सरीखी। कीड़े भी घसीटते क़लमें अपनी-अपनी।

    एक लहर घोड़ों की, दुबले ऐसे जैसे

    रूपकथाओं में दीखते महामारी की

    उनमें भी शालीन नहीं था कुछ भी। सूरज अपने-आप मगन है।

    (3)

    घुड़सालों की गंध से भरा गाँव, जहाँ हैं कुत्ते मरियल

    पार्टी पदाधिकारी भी था वहीं हाट के चौराहे पर

    घुड़सालों की गंध से भरा गाँव सफ़ेदी-पुते घरों का

    उसका स्वर्ग साथ चलता है—ऊँचा, पूरा

    मीनारों के भीतर के खोखल-सा सँकरा

    साथ परिंदों के उड़ता-सा लगता है वह गाँव पहाड़ी

    (4)

    एक पुराने घर ने ख़ुद अपने माथे पर गोली दाग़ी

    दो लड़के मारते गेंद को ठोकर गोधूलि में

    गूँज...गूँज पर गूँज...अचानक तारे चमके।

    (5)

    मैं हूँ वहाँ सड़क पर, लंबे अँधियारे में। चमक रही है

    मेरी हाथघड़ी ज़बरन ही क़ैद काल के कीड़े के संग

    घनीभूत सन्नाटा छाया भीड़ भरे डिब्बे में

    अंधकार में गुज़र रहे हैं बहते से मैदान।

    लेकिन लेखक पैठ चुका आधा अपनी प्रतिमा में, वहीं

    सफ़र करता है एक साथ ही गरुड़ और चींटी बन कर वह।

    स्रोत :
    • पुस्तक : दरवाज़े में कोई चाबी नहीं (पृष्ठ 239)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : टॉमस ट्रांसट्रोमर
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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