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स्वप्न में

svapn mein

अनुवाद : उदय शंकर भट्ट

रॉबर्तो बोलान्यो

अन्य

अन्य

रॉबर्तो बोलान्यो

स्वप्न में

रॉबर्तो बोलान्यो

और अधिकरॉबर्तो बोलान्यो

    एक

    मेरे सपने में

    पृथ्वी समाप्त हो गई थी

    अंत में सिर्फ़ फ्रांज काफ़्का ही बचा था

    जो विचारमग्न था

    स्वर्ग में सब

    मरने-मारने पर उतारू थे

    और सेंट्रल पार्क में लोहे की बेंच पर बैठा

    काफ़्का दुनिया को जलते हुए देख रहा था

     

    दो

    सपने में

    मैं सपने में हूँ

    और घर आते-आते देर हो गई थी

    आते ही पाया कि मारियो जा सा करनेरु मेरी पहली प्रेमिका के साथ हमबिस्तर है

    जैसे ही चादर हटाई

    वे मृत पड़े थे

    और रक्ताभ होने तक वे मेरे होंठों को काटते रहे

    मैं फिर से गलियों की ओर लौट गया

     

    तीन

    सपने में

    एक बांझ पर्वत की चोटी पर

    एनाक्रिएन अपने महल का निर्माण कर रहा था

    और फिर उसे नष्ट कर रहा था

     

    चार

    सपने में

    मैं एक आदिम लैटिन अमेरिकन जासूस था

    और न्यूयॉर्क में रहता था

    मार्क ट्वेन ने मुझे एक आदमी के जीवन की रक्षा का कार्यभार सौंपा

    शर्त यह थी कि वह चेहराविहीन हो

    ‘यह बहुत मुश्किल मामला है, श्रीमान ट्वेन!’

    — मैंने कहा

     

    पाँच

    सपने में

    मैं ऐलिस शेल्डन के प्यार में था

    वह मुझे नहीं चाहती थी

    इसीलिए मैंने ख़ुद को तीनों महाद्वीपों पर मारने की कोशिश की

    सालों गुज़र गए

    अंततः जब मैं सचमुच में बूढ़ा हो चुका था

    वह इशारों की तरह

    न्यूयॉर्क प्रोमेनेड के आख़िरी छोर पर आई

    (जिन इशारों का प्रयोग विमानचालकों को ज़मीन पर उतरने के लिए किया जाता है)

    और बोली कि वह मुझे हमेशा प्यार करती थी

     

    छह

    सपने में

    एक विशाल वेसाल्ट शिलापट्ट पर

    मैं और अनैस निन एक-दूसरे के यौनांगों को चाट रहे थे

     

    सात

    सपने में

    साल 1981 के वसंत के समय

    एक मंद-रौशन कक्ष में

    कारसन मैककुलर्स के साथ मैं संभोगरत था

    साथ ही साथ हम दोनों मूर्खों की तरह ख़ुश थे

     

    आठ

    सपने में

    मैं अपने हाईस्कूल लौट आया था

    जहाँ अल्फूंस दूडे हमारे शिक्षक थे

    कुछ अतींद्रिय हरकत हुई

    एहसास हुआ कि हम सपना देख रहे हैं

    दूडे तात्रन पाइप पीते हुए

    खिड़की से बाहर देखते रहे

     

    नौ

    सपने में

    मैं सो रहा था

    उसी समय मेरे सहपाठी

    होबर देस्नुस को तरजिनो कंसन्ट्रेशन कैंप से

    मुक्त कराने की कोशिश कर रहे थे

    जब मैं जगा तो एक आवाज़

    मुझे हिला रही थी :

    ‘बोल्यान्यो जल्दी करो, जल्दी

    हमारे पास हारने के लिए समय नहीं है’

    जब मैं वहाँ गया तो

    धुएँ में गमगीन

    खंडहर के बीच ख़ुद को

    एक आदिम जासूस की तरह खड़ा पाया

     

    दस

    सपने में

    पृथ्वी के अस्तित्व में आने के तीन अरब वर्ष बाद

    मनुष्यों के हाथ सिर्फ़ आभासी संख्याओं का तूफ़ान आया है

     

    ग्यारह

    सपने में

    मैं सपना देख रहा था

    एक स्वप्न-सुरंग में

    रॉक डाल्टन के सपने से मेरी भिड़ंत हो गई

    एक बहादुर का स्वप्न

    जो एक कमबख़्त सपने के लिए मर गया

     

    बारह

    सपने में

    मैं अठारह साल का था

    उसी समय मैंने

    अपने सबसे प्रिय दोस्त को

    वाल्ट व्हिटमैन के साथ रतिकृत देखा

    चिविदवेक्या की तूफ़ानी शाम के बारे में सोचते हुए

    उन्होंने इस रतिकर्म को आरामकुर्सी पर अंजाम दिया

    वह भी अठारह साल का था

     

    तेरह

    सपने में

    मैं क़ैदी था और बयतुस्स मेरा सहक़ैदी

    अपने हाथ और क़लम को

    उन्हीं की परछाइयों की तरफ़ बढ़ाते हुए वह बोला :

    ‘वे काँप नहीं रहे हैं, वे काँप नहीं रहे हैं’

    (थोड़ी देर बाद अपनी आवाज़ को स्थैर्य प्रदान करते हुए वे बोले :

    ‘जैसे ही वे कमीने थिओडोरिक को पहचानेंगे, वे काँपेंगे’)

     

    चौदह

    सपने में

    कुल्हाड़ी की हंफनी की तरह

    मैं मार्क्विस द साद का अनुवाद कर रहा था

    जंगल में रहते हुए

    पागल हुआ जा रहा था

     

    पंद्रह

    सपने में

    चिविदवेक्या के एक शराबखाने में

    पास्कल अपने स्फ़टिक स्वर के साथ

    भय के बारे में बात कर रहा था :

    ‘चमत्कार हमें बदलते नहीं

    बल्कि हमारी निंदा करते हैं’

     

    सोलह

    सपने में

    मैं एक आदिम लैटिन अमेरिकन जासूस था

    एक रहस्यमयी संस्था ने मुझे कार्यभार सौंपा

    कि मैं उन्हें लैटिन अमेरिकन उड़न-छू का

    मृत्यु-प्रमाण-पत्र प्रदान करूँ

    इसके लिए लिए मैंने पूरे विश्व की यात्राएँ की—

    अस्पतालों, युद्ध-क्षेत्रों, पल्क के शराबखानों और परित्यक्त विद्यालयों तक

    स्रोत :
    • पुस्तक : सदानीरा पत्रिका
    • संपादक : अविनाश मिश्र
    • रचनाकार : रॉबर्तो बोलान्यो

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