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उत्तर का अंतिम अक्षर

uttar ka antim akshar

मुकुट बिहारी सरोज

अन्य

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मुकुट बिहारी सरोज

उत्तर का अंतिम अक्षर

मुकुट बिहारी सरोज

और अधिकमुकुट बिहारी सरोज

    उत्तर का अंतिम अक्षर लिखना बाक़ी था

    घोषित, तुमने व्यर्थ परीक्षाफल कर डाला

    किस नीयत से अंक दिए कम तुम जानो

    मैंने तो हल करने में आँसू बरते थे

    दुख के गुरुकुल का स्नातक था

    जहाँ रात-दिन बड़े-बड़े ज्ञानी-ध्यानी पानी भरते थे

    मैंने सिर्फ़ अभावों के अनुबंध लिखे थे

    तुमने उनकी गिनती कर टोटल कर डाला

    बुरे दिनों में पढ़ा किया असफल इस कारण

    लेकिन इस लिखाव का मरम नहीं पहचाना

    और किसी बैठे के प्रति चलने वाले के

    दायित्वों का पहला धरम नहीं पहचाना

    सही रूप-रेखा को महज़ नक़ल ठहरा कर

    तुमने मेरा काम और मुश्किल कर डाला

    क़र्ज़दार हो जाए दुनिया की तरुणाई

    परंपरा के हाथ इसलिए नहीं वर सका

    आश्वासन बहुत दिए थे आसमान ने

    मैं ही कुछ तम से समझौता नहीं कर सका

    मैंने सिर्फ़ सलामी भेजी थी सूरज को

    तुमने आँखें मूँद सत्य ओझल कर डाला

    स्रोत :
    • पुस्तक : कविता सदी (पृष्ठ 355)
    • संपादक : सुरेश सलिल
    • रचनाकार : मुकुट बिहारी सरोज
    • प्रकाशन : राजपाल एंड संस
    • संस्करण : 2018

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