स्त्रियों से

striyon se

अनीता वर्मा

अनीता वर्मा

स्त्रियों से

अनीता वर्मा

और अधिकअनीता वर्मा

    जब कुछ ही समय बाद डूब जाएगी यह पूरी सदी

    बीज और घास की क़िस्में हमें पुख़्ता कर लेनी हैं

    भूली हुई कोमलता की गोद कितनी बड़ी करनी है

    इसे देखना है शुरू के दिन से

    जब सही थीं मालूम कितनी यातनाएँ

    कई तरह के आँसू बहाए थे

    जब उनके नियमों से ख़ास स्त्री थी

    अभी शायद साँस लेने का और मुक्त होने का

    फ़र्क़ भी नहीं कर पाए हम

    अगर यह वही है जो है उनके पास

    तब तो वे हैं चिरकाल से मुक्त

    पर स्थितियों का बदलना क्या इतने बड़े शब्द को

    अर्थवान कर सकता है

    रखनी होगी हवाओं के घर में हमें

    वह पारदर्शी सुनहरी नदी

    जिसके तट पर प्यार खड़ा है

    अपने भीतर गुम होते हुए टीले पर से

    पकड़नी होगी बच्चे की छोटी अँगुली

    एक समूह जो जीवित है दर्द में

    उसका एक हिस्सा बनकर अपनी निविड़ताओं से

    निकाल लानी होगी उजली हँसी

    नदियों का साफ़ बहता पानी आईने-सी धूप

    यह लौटना सचमुच लौटना हो अपने घर

    घर जो बहुत बड़ा है

    स्रोत :
    • पुस्तक : एक जन्म में सब (पृष्ठ 77)
    • रचनाकार : अनीता वर्मा
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 2003

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