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बजार तँ मुदा, बजार नहि

bajar ta’ muda, bajar nahi

विवेकानन्द ठाकुर

अन्य

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विवेकानन्द ठाकुर

बजार तँ मुदा, बजार नहि

विवेकानन्द ठाकुर

और अधिकविवेकानन्द ठाकुर

    ओना तँ पहिनहु

    गामसँ सटल स्टेशन

    सौँसे गामक जेना साझी दलान

    जतऽ गामक दस-बीसटा लोक

    सदिखन पटोटनि देने

    ताश खेलाइत

    गप्प लड़बैत

    गमछी ओछा-ओछा ओँघरायल

    आब तँ सहजहिँ

    भोरसँ दस बजे राति धरि

    स्टेशनक बजारमे मेला लागल

    बजार

    जे देखैत-देखैत

    अपने बसि गेल

    स्टेशनक पछुआरमे

    ने केओ

    जगह गुनओलक

    ने केओ

    दिन तकओलक

    बेकहल जंगल-झाड़ जकाँ

    एक-दोसराकेँ धकिअबैत

    अपन-अपन दोकान

    छानि लेलक

    चलता-पुर्जा लोक

    ताहि दिन

    स्टेशनपर

    भूजल भाँग नहि भेटय

    ‘बाट-बटोही करय किलोल’

    स्थिति सैह छल

    एकटा दसटकहीक खुदरा लेल

    लोक छोटा बाबूकेँ गोहराबय

    आब

    भोरे-भोर

    नमरी टुटैये

    सिंघारा-रसगुल्ला-चाहपर

    पहिने

    लोक नियारिकऽ

    सँगोर बान्हिकऽ

    जाइ छल बजार

    आब

    गाममे बजार

    कि बजारमे गाम

    कहब कठिन

    माल-जिनीसक संग-संग

    ताड़ी-दारू-गाँजा-भाँग

    जकर-जखन-जेहन माँग

    तकर-तखन-तेहन आपूर्ति

    खेती-पथारीक लागत

    ऊपर होइये कहुना

    स्टेशन-प्लेटफार्मक दशा

    जहिना छल तहिना

    परिवर्तनमे परिवर्तन

    एतेक अवश्य भेल

    जे सकरी-लोहट-रैयामक पटरी

    उपड़ि गेल

    बसल बजार

    उपड़ि गेल

    बजार

    बजार तँ मुदा, बजार नहि

    जहिना पाउडरसँ बनल

    रसगुल्ला नकली

    पनितोआ नकली

    तहिना बजार नकली

    एकर चुहचुही नकली

    एकर गीत नकली

    एकर इजोत नकली

    एकर सोँगर छी

    मनिआर्डर बैंक-ड्राफ्ट

    एकरा टेकने अछि

    दिल्ली-पंजाब

    गुजरात-महाराष्ट्र

    सोँगरपर ठाढ़

    बजार

    बजार तँ मुदा, बजार नहि

    मुदा, बजार नहि

    स्रोत :
    • पुस्तक : चानन घन गछिया (पृष्ठ 148)
    • रचनाकार : विवेकानन्द ठाकुर
    • प्रकाशन : विवेकानन्द ठाकुर
    • संस्करण : 2011

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