सीमित शब्दकोश

simit shabdkosh

पूनम सोनछात्रा

पूनम सोनछात्रा

सीमित शब्दकोश

पूनम सोनछात्रा

और अधिकपूनम सोनछात्रा

    मेरी भाषा में चाँद को चाँद कहते हैं

    और रोटी को रोटी

    उसकी भाषा के अर्थ

    दिन के पहरों के हिसाब से बदलते रहते हैं

    दिन के पहले पहर

    जब वह चाँद कहता है

    तो उसका अर्थ है

    उसकी कल्पनाओं में खिलता एक साँवला चेहरा

    जो उसे पूरी रात जगाए रखता है

    दिन चढ़ते-चढ़ते

    वह साँवला चेहरा एक उजली सफ़ेद रोटी की शक्ल

    इख़्तियार कर लेता है

    तब उसकी भाषा में चाँद का अर्थ होता है रोटी

    जिसकी तलब उसे पूरे दिन उलझाए रखती है

    दिन के आख़िरी पहर तक यह जद्दोजहद

    इतनी निराशा भर देती है

    कि उजली रोटी का चाँद बीच से खोखला होकर

    फाँसी के फंदे की शक्ल में बदल जाता है

    एक ऐसा चाँद

    जो दूसरी और शायद बेहतर दुनिया में ले जा सकता है

    उसका शब्दकोश सीमित है

    वह अपनी हर ज़रूरत को चाँद कहता है

    चाँद... जिसकी छाया छूना भी संभव नहीं

    स्रोत :
    • रचनाकार : पूनम सोनछात्रा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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