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सत्याग्रह

satyagrah

जनार्दन

अन्य

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    जंगल-जंगल बात चली थी

    हर तरफ़ सत्याग्रह की धूम थी

    पशु-पक्षी से लेकर

    हिंसक जानवर तक सत्याग्रह का प्रण ले रहे थे

    यहाँ तक कि अकारण डसने वाले सॉप भी

    गाँधी टोपी पहनकर

    रामधून पर लहरा रहे थे।

    सत्याग्रह का दबाव बढ़ता जा रहा था

    जंगलराज में आदेश पारित हो चुका था—

    ‘सबको सत्याग्रही होना है’

    ‘सबको सत्याग्रह का फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड करना है’

    छिपकलियों ने बैठक किया

    सभा कक्ष में

    गाँधी और अंबेडकर की तस्वीर लगाई गई

    उस दिन सारी छिपकलियाँ

    रामधूम पर पूँछ हिलाईं

    हिलती पूँछ वाली छवि सोशल मीडिया पर अपलोड हुई

    छवि अपलोड होने के बाद

    सारी छिपकलियों ने जमकर शिकार किया

    बल भर कीड़ों का भक्षण किया

    अब अलसाई छिपकलियों को नींद की ज़रूरत थी

    सारी छिपकलियाँ जंगलराज के यश के गीत गाईं

    और

    जंभाई लेती हुई

    गाँधी-अंबेडकर के तस्वीर की ओट में जाकर सो गईं।

    स्रोत :
    • रचनाकार : जनार्दन
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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