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सर्वभूतेषु चात्मानम्

sarvbhuteshu chatmanam

अरुणाभ सौरभ

अन्य

अन्य

अरुणाभ सौरभ

सर्वभूतेषु चात्मानम्

अरुणाभ सौरभ

और अधिकअरुणाभ सौरभ

    कोनो स्मृतिमे पसरल

    भिनसर हेबाक उमेद

    भग्न हृदयक कोनो दोगमे नुकायल

    वांछित राग-विराग

    नहि आख्यान नहि शब्द विन्यास

    सभ समयक नुनछाह सुआदमे बहल

    पियासमे रससँ उमड़ैत समुद्र नेने

    कामना केर

    अन्हार केर कारिखकेँ

    ध्वस्त करतै

    इजोतक सहस्त्र आवरण जकाँ

    जेना माँछ उछलि-उछलि

    पानिकेँ दलमलितकऽ दैत छैक

    जेना गिरहथ पानि उपछि-उपछि

    खेतमे कियारी बनेबाक

    यत्न करैत छैक

    जेना मचान थाकल देहकेँ

    विश्रांति दैत छैक

    प्रेम विथारि दैत छैक

    आत्माक संपूर्णता

    चूसि लैत छैक

    आशंका अवसादक

    मलिन नदीकेँ

    माफकऽ दैत छैक दोख-गलती

    प्रेमहि करतै अइ पृथ्वीकेँ निश्शंक

    जीवनकेँ आत्माक पयरे

    करतै निरंतर चलन्त...।

    स्रोत :
    • पुस्तक : एतबे टा नहि (पृष्ठ 69)
    • रचनाकार : अरुणाभ सौरभ
    • प्रकाशन : नवारम्भ
    • संस्करण : 2017

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