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सारी दुनिया इस ममता में

sari duniya is mamta mein

हरविंदर

अन्य

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हरविंदर

सारी दुनिया इस ममता में

हरविंदर

और अधिकहरविंदर

    टिटहरी बैठी है अंडों पर

    बिल्ली पिल्ले को पकड़कर

    गर्दन को धीमे से थामकर

    सुरक्षित जगह लिए जा रही है।

    बिजड़े का युगल महीन क़सीदाकारी से

    ओट के लिए बना रहा है घोंसला

    कोयल, कौओं के बेगाने घोंसलों में भी

    अंडे टिका रही है

    माँ बच्चे को स्तनपान करवा रही है

    लोरी देकर सुला रही है

    धरती हम सभी को

    अपने पालने में डालकर

    झूला झुला रही है

    रात को सुला रही है

    दिन में जगा रही है

    ममत्वमयी लग रही है

    पुरी दुनिया।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बीसवीं सदी का पंजाबी काव्य (पृष्ठ 524)
    • संपादक : सुतिंदर सिंह नूर
    • रचनाकार : कवि के साथ अनुवादक फूलचंद मानव, योगेश्वर कौर
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2014

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