कलाकारवृंद, तुम जो चाहे-अनचाहे
अपने आपको दर्शकों के फ़ैसले के हवाले करते हो,
भविष्य में उतरो, ताकि जो दुनिया तुम दिखाओ
उसे भी दर्शकों के फ़ैसले के हवाले कर सको।
जो है तुम्हें वही दिखाना चाहिए,
लेकिन जो है उसे दिखाते हुए तुम्हें
जो होना चाहिए और नहीं है, और जो राहतमंद हो सकता है
उसकी ओर भी इशारा करना चाहिए,
ताकि तुम्हारे अभिनय से दर्शक
अभिनीत चरित्र से बर्ताव करना सीख सकें।
इस सीखने-सिखाने को रोचक बनाओ,
सीखने-सिखाने का काम कलात्मक तरीक़े से होना चाहिए
और तुम्हें लोगों और चीज़ों के साथ बर्ताव करना भी
कलात्मक तरीक़े से सिखाना चाहिए,
कला का अभ्यास सुखद होता है।
तय मानो; तुम एक अँधेरे वक़्त में रह रहे हो,
शैतानी ताक़तों द्वारा आदमी को फुटबॉल की तरह
आगे-पीछे उछाला जाता तुम देखते हो,
सिर्फ़ कोई जाहिल ही निश्चिंत रह सकता है,
जो संशययुक्त हैं; उनकी तो पहले ही अधोगति बढ़ी है,
हम शहरों में जो मुसीबतें झेलते हैं; उनकी तुलना में
इतिहास-पूर्व के मनहूस वक़्त के भूचाल क्या थे?
विपुलता के बीच हमें बरबाद करती तंगहाली के बरअक्स
ख़राब फ़सलें क्या थी?
- पुस्तक : रोशनी की खिड़कियाँ (पृष्ठ 155)
- रचनाकार : बेर्टोल्ट ब्रेष्ट
- प्रकाशन : मेधा बुक्स
- संस्करण : 2003
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