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मानस भारद्वाज

और अधिकमानस भारद्वाज

    प्रेमिकाओं से ज़्यादा साथ

    मोबाइल में मौजूद पोर्न ने निभाया

    यह सत्य है और सत्य

    हमेशा कड़वा होता है

    सत्य स्वीकार करने में

    बेहद मुश्किल होता है

    मुझे ही यह स्वीकार करने में

    बीस साल लगे हैं

    पर पहले मोबाइल में नहीं

    लैपटॉप में मौजूद होता था

    उससे पहले मैगज़ीन में

    'चॉप्सी' उनमें से एक थी

    एक समय तो मैं इन मैगज़ींस को

    किराए पर भी देता था

    जब मैं कोटा में पढ़ाई करने का नाटक करता था

    एक रात के बीस रुपए

    यह आइडिया कैसे आया मुझे भी नहीं पता

    पर मुझे याद है जिस दुकानवाले से मैं

    ये मैगज़ींस ख़रीदता था

    उससे अमृता प्रीतम की किताबें भी लीं

    उससे मैंने सलमान रुश्दी और

    अमर्त्य सेन की भी किताब ख़रीदी थी

    अमृता प्रीतम की यह लाइन मुझे आज तक याद है :

    कुछ अपने हिया की बात करें

    इस चाँद के पानी मे डूब मरें

    ये चाँद का पानी जो पीना है

    ये मरना ही तो जीना है

    ये मैंने 'चॉप्सी' से निपटने के बाद पढ़ी थीं

    और दिमाग़ मे झटका लगा था

    'चॉप्सी' जैसी किताबों को

    पढ़ा नहीं जाता था

    उनसे निपटा जाता था

    किराए पर कभी अमृता प्रीतम या

    अमर्त्य सेन की किताब नहीं गई

    अगर वे किताबें किराए पर जातीं

    तो दुनिया में आज ऐसी सरकारें नहीं होतीं

    मुझे लगता है 'चॉप्सी' के साथ

    अमर्त्य सेन को भी पढ़ना चाहिए

    ओशो के साथ-साथ

    गलियानो जैसों को भी

    पर सबको चूतियापा करने का अधिकार है

    और भुगतना भी सबको ही पड़ता है

    ख़ैर...

    मुझे जिस्म और आत्मा का ज्ञान मत दीजिएगा

    मैं भी जितना बाहर निकलता हूँ

    उतना ही अपने अंदर जाता हूँ

    और यह अहंकार भरी लाइन जो मैंने

    बहुत देर मेडिटेट करने के बाद लिखी है

    इससे मुझे समझ में आता है

    मैं बाहर ही बाहर रहता हूँ

    अपने अंदर नहीं जा पाता हूँ

    इसीलिए प्यार नहीं निभा पाता हूँ

    हालाँकि इतना कन्फ़र्म होकर

    कोई अहंकारी और मूर्ख ही बोल सकता है

    तभी तो प्रेमिकाओं से ज़्यादा साथ

    मोबाइल में मौजूद पोर्न ने निभाया

    एक मूर्ख आदमी के साथ लगातार

    कौन समझदार लड़की रह सकती है

    मैं कोई मैकडोनाल्ड डंप तो हूँ नहीं

    जिसके साथ रहा जाए मूर्खता के बावजूद

    हालाँकि मैं इस निष्कर्ष पर कैसे पहुँचा

    कि प्रेमिकाओं से ज़्यादा साथ

    मोबाइल में मौजूद पोर्न ने निभाया

    मुझे यह पता करने के लिए भी

    शायद मेडिटेट करना पड़ेगा

    जीवित रहते हुए मरना पड़ेगा

    स्रोत :
    • रचनाकार : मानस भारद्वाज
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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