बैलेंस्ड ज़िंदगी

bailensD zindagi

बबली गुज्जर

बबली गुज्जर

बैलेंस्ड ज़िंदगी

बबली गुज्जर

और अधिकबबली गुज्जर

    तुम्हारे झुक जाने भर से

    नहीं झुक जाएगा

    दुनिया भर का

    झूठा अहम

    तुम्हारे जल जाने भर से

    नहीं भस्म हो सकेंगी

    बरसों पुरानी रीति

    तुम्हें लगता है

    कि तुम पहली

    या आख़िरी पीड़ित औरत हो

    तुम्हें लगता है

    मृत्यु सब ठीक हो जाने का नाम है?

    तुम बरसों प्रेम के नाम पर

    ठगी गई हर जगह

    वो पिता जिसे नोच लेनी थी

    हर उठती निगाह को

    उसने तुम्हें सौंप दिया

    एक सरकारी कर्मचारी को

    लीगल रेपिस्ट

    शब्द से नावाक़िफ़ रही आजीवन

    तुम्हें सादा दाल

    कहकर लगाए गए दोस्तों में कहकहे

    चिकन बिरयानी सी लड़कियाँ

    ललचाती रही तुम्हारा मन

    उड़ जाने को आतुर

    पायलों के बोझ में दबी

    तुम आज नहीं मर रही हो

    तुम जी ही कब रही थी

    तुम्हें जीना सिखाया ही गया

    तुम्हें सिखाया गया

    दबना, झुकना

    और हामी में हिला देना गर्दन

    दर्द मत बताना

    आँख मत उठाना

    सीने में भरी आग सारी

    दुपट्टे में अपने दबाना

    ट्रेनिंग चलती रही

    चाय बनाने से शुरू होकर

    दाल-भात, सब्ज़ी-तरकारी

    तुम्हें बस इतना समझ लेना था

    नून मिर्च मीठे के बैलेंस सीख लेने भर से

    ज़िंदगी बेलेंसड नहीं हो जाती मेरी जान...

    स्रोत :
    • रचनाकार : बबली गुज्जर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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